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सांझेदारी संस्था की पुस्तकों में हिसाब के लेखे
सांझेदारी संस्था के व्यवसाय का हिसाब किताब ठीक उसी प्रकार रखा जाता है जिस प्रकार एकांकी  व्यापार का हिसाब किताब रखा जाता है
    1 . पूंजी खता ( capital account ) : सांझेदार व्यवसाय प्रारम्भ करते समय प्रत्येक सांझेदार व्यवसाय में अपने अपने हिस्से की पूंजी लगता है यह पूर्व में ही निश्चित कर लिया जाता है  की कोण सांझेदार कितना पैसा लाएगा कभी कभी किसी विशेष योग्यता वाले व्यक्ति को बिना उसकी पूंजी के ही व्यापर में सम्मिलित कर लिया जाता है वह व्यक्ति बिना पूंजी लगाए ही फर्म का सांझेदार बन जाता है और लाभ में हिस्सा में हिस्सा प्राप्त करता है पूंजी के रूप में कभी कभी सांझेदार रोकड़ के अतिरिक्त अन्य सम्पत्तिया (फर्नीचर , भवन, माल, या यंत्र ) के रूप में पूंजी लगते है प्रत्येक संक्झेंडर के फर्म में अलग अलग खाता खोला जाता है
                         पूंजी cash में लेन पर :
                                                cash a/c                                             Dr.
                                                    To A's capital a/c
                                                     To B's capital a/c
                                                      To c's capital a/c
                                                ( being capital brought in by partners)
                 
                        नकद के अतिरिक्त अन्य सम्पत्तिया पूंजी के रूप में लेने पर :
                                             stock a/c/ assets a/c                            Dr.
                                                To A's capital a/c
                                                 To B's capital a/c
                                                  To C's capital c/c
                                           ( being capital brought in tha from of assets)


 METHOD OF CAPITAL ACCOUNT
                                                  capital a /c के 2  method होते है
 स्थायी पूंजी खाता (fixed capital ratio) : इसमें सांझेदारो की पूंजी स्थित रहती है    सांझेदारो की सम्पूर्ण अवधि में सामान्यता : स्थिर रहती है जब तक समझौता के अधीन अतिरिक्त पूंजी लायी नहीं जाती या स्थाई  रूप से निकली नहीं जाती है

  • इसे 2 भागो में बटा गया है
  • सांझेदारो के पूंजी खाते( partners capital a/c)  : सांझेदारो द्वारा ले गई पूंजी का लेखा किया जाता है




  • सांझेदारो के चालू खाते ( partners current a/c) :सांझेदारो के लिए चालू खता खोला जाता है उनसे सम्बंधित सभी व्यवहारो को लिखा जाता है


  • परिवर्तनशील पूंजी खाता ( fluctuating capital a/c) : इसमें लेखा करने के लिए केवल एक ही खता खोला जाता है और वह है पूंजी खाता  इसमें संजेदारो के पूंजी के लेखा तो किया ही जाता है साथ ही साथ उनके सभी व्यवहारों का भी लेखा किया जाता है बार बार इसमें लेखा होने से पूंजी खाते का शेष बदलता रहता है इस  परिवर्तनशील पूंजी खता कहते है


  •  पूंजी पर व्याज की गणना ;

 पूंजी पर ब्याज व्यवसायी द्वारा व्यवसायी द्वारा व्यवसाय में विनियोजित पूंजी पर प्राप्त करने का अधिकार रखता है पूंजी पर ब्याज , लाभ हानि कहते से नियोजित होता है लाभ हानि खाता dr कर दिया जाता है यह तब संभव है जब व्यवसाय में लाभ है पूंजी पर ब्याज तभी दिया जाता है जब सांझेदारो में ब्याज प्राप्ति की आपसी सहमति अनुबंध के समय निश्चित कर ली गई हो यह निश्चित दर से निर्धारित अवधि के लिए दी जाती है

  • अतिरिक्त पूंजी पर ब्याज ; यदि कोई सांझेदार अपने भाग से अधिक राशि फर्म को देता है तो वह उस अतिरिक्त रकम का 6 % वार्षिक ब्याज पाने का अधिकारी होता  है  
  • पूंजी पर ब्याज की entry : 
1 interest on capital a/c                       dr.
         to partner's capital a/c
     (  being interest on capital due)
  2. profit and loss appropriation a/c       dr.
          to interest on capital a/c
      ( being interest transferred to P/La/c )
इसके स्थान पर एक वैकल्पिक entry की जा सकती है 
 1 profit and loss appropriation a/c          dr.
         to partner's capital a/c
    ( being interest changed to P/L)

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