पृथ्वी की गतिया

पृथ्वी की गतिया


  • पृथ्वी की गति दो प्रकार की होती है

1 . घूर्णन
2 . परिक्रमण


  •  घूर्णन : पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना घूर्णन कहलाता है पृथ्वी अपनी धुरी अथवा अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है  पर एक चक्कर लगाने में 24 घंटे लगते है एक दिन ओर रत का समय ( 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात ) इस गति को दैनिक गति भी कहते है 
  • परिक्रमा : सूर्ये के चारो और एक स्थिर कक्ष में पृथ्वी की गति  को परिक्रमा कहते है पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमने के साथ साथ सूर्य के चारो ओर परिक्रमा करती है पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा 365 1 /4  दिन में 1 year पूरा करती है पृथ्वी की इस गति को वार्षिक गति कहते है 
  • कक्षीय समतल : पृथ्वी अपने अक्ष एक काल्पनिक रेखा है जो इसके कक्षीय सतह से 66 1 /2  का कोण बनाती है वह समतल जो कक्ष के द्वारा बनाया जाता है उसे कक्षीय समतल कहते है 
  • प्रदीप्ति व्रत : पृथ्वी सूर्य से प्रकाश प्राप्त करती है पृथ्वी का आकर गोले के समान है इस लिए एक  समय में सिर्फ इसके आधे भाग पर ही सूर्य की रोशनी प्राप्त होती है सूर्य की ओर वाले भाग में दिन होता है जबकि दूसरे भाग जो सूर्य  होता है वहा रात होती है ग्लोब का वह भाग जो दिन व रात को विभाजित करता है उसे प्रदीप्त व्रत कहते है 
  • पृथ्वी दिन : पृथ्वी अपने अक्ष पर एक चक्कर पूरा करने में लगभग 24 घंटे का समय लेती है घूर्णन के समय काल का पृथ्वी  है 
  • पृथ्वी का दैनिक गति है 

 extra notes 

  •  पृथ्वी का अक्ष उसके कक्षातल पर बने लम्ब से 23.5° झुका हुआ है । अर्थात् पृथ्वी का अक्ष पृथ्वी के कक्षा तल से 66.5° का कोण बनाता है । इसे पृथ्वी के अक्ष का झुकाव कहते हैं । इस अक्ष के उत्तरी सिरे पर उत्तरी धु्रव तथा दक्षिणी सिरे पर दक्षिणी ध्रुव है ।
  • ● पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुई लगभग एक लाख कि.मी. प्रति घंटा की गति से सूर्य की परिक्रमा करती है ।
  • ● सूर्य के परिक्रमण मार्ग पर पृथ्वी का अक्ष हमेशा एक ही ओर झुका रहता है । इसके कारण उत्तरी गोलार्द्ध 6 महिने सूर्य की ओर झुका रहता है । इसलिए उत्तरी गोलार्द्ध का अधिकांश भाग अपेक्षाकृत अधिक समय तक सूर्य के प्रकाश में रहता है । फलतः यहां दिन बड़े होते हैं । इसके विपरीत इसी अवधि में द. गोलार्द्ध सूर्य से दूर होता है । इसलिए वहां दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैं ।
    ● केवल विषुवत वृत्त पर ही दिन और रात की अवधि बराबर होती है ।
    ● विषुवत वृत्त से जैसे-जैसे उत्तर या दक्षिण दिशा में बढ़ते जाते हैं, दिन व रात की अवधि में अंतर बढ़ता जाता है ।
    ● चूंकि 23 सितम्बर और 21 मार्च को सूर्य की किरणें दोपहर के समय विषुवत वृत्त पर लम्बवत् पड़ती है, इसलिए इन दोनों तिथियों को समस्त विश्व में दिन और रात बराबर होते हैं ।
    ● पृथ्वी के घूर्णन के कारण दिन और रात होते हैं, जबकि पृथ्वी के परिक्रमण से ऋतुएं बदलती हैं ।
    ● घूर्णन के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में जल एवं पवनें अपनी दायीं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अपने बायीं ओर मुड़ जाते हैं। महासागरों में ज्वार-भाटा आता है।
    ● पृथ्वी की झुकी हुई धुरी और परिक्रमा की गति की वजह से बसंत, गर्मी, ठंड और बरसात की ऋतुएं आती हैं ।
    ● परिक्रमण से निम्न प्रभाव पड़ता है -
    1. सूर्य की किरणों का सीधा और तिरछा चमकना
    2. वर्ष की अवधि का निर्धारण
    3. कर्क और मकर रेखाओं का निर्धारण
    4. ध्रुवों पर 6-6 माह के दिन और रात
    5. धरातल पर ताप वितरण में भिन्नता
    6. जलवायु कतिबंधों का निर्धारण
    7. दिन-रात का छोटा बड़ा होना
    ● कर्क संक्रांति - पृथ्वी द्वारा सूर्य के परिक्रमण में 21 जून की स्थिति जब सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत पड़ता है ।
    ● मकर संक्रांति- पृथ्वी द्वारा सूर्य के परिक्रमण में 22 दिसम्बर की स्थिति जब सूर्य मकर रेखा पर लम्बवत पड़ता है।
    ● विषुव- 21 मार्च और 23 सितम्बर की स्थितियां जब सूर्य भूमध्य रेखा पर लम्बवत चमकता है, जिसके कारण दोनों गोलार्द्धों में सर्वत्र दिन-रात बराबर होते हैं। 21 मार्च वाली स्थिति को बसंत विषुव और 23 सितम्बर वाली स्थिति को शरद विषुव की अवस्था कहा जाता है।
    ● सिजगी- सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी की एक रेखीय स्थिति।
    ● वियुति- सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा की स्थिति, जिसके कारण चन्द्र ग्रहण होता है।
    ● युति- सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा की स्थिति, जिसके कारण सूर्य ग्रहण होता है।
    उपसौर और अपसौर
    ● जब पृथ्वी सूर्य के बिल्कुल पास होती है तो उसे उपसौर (Perihelion) कहते हैं.
    ● उपसौर की स्थिति 3 जनवरी को होती है. इस दिन पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी 14.70 करोड़ किमीटर होती है.
    ● जब पृथ्वी सूर्य से अधिकतम दूरी पर होती है तो यह अपसौर (Aphelion) कहलाता है.
    ● अपसौर की स्थिति 4 जुलाई को होती है. ऐसी स्थिति में पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी 15.21 करोड़ किमीटर होती है.
    ● उपसौर और अपसौर को मिलाने वाली रेखा सूर्य के केंद्र से गुजरती है. इसे एपसाइड रेखा कहते हैं

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