ग्लोब : अक्षांश एवं देशांतर
ग्लोब : अक्षांश एवं देशांतर
- हमारी पृथ्वी गोलाकार नहीं है यह उत्तर एवं दक्षिण धुरुव पर थोड़ी चपटी तथा मध्य में थोड़ी उभरी है
- ग्लोब पर देशो महाद्वीपों तथा महासागर को उनके सही आकर में दिखाया जाता है
- एक सुई ग्लोब में झुकी हुई अवस्था में स्थित होती है जिसे अक्ष कहते है
- ग्लोब में दो बिन्दुओ को देखते है
- उत्तरी धुरुव : एक ग्लोब के ठीक ऊपर की और होता है जिसे हम उत्तरी धुरुव कहते है
- दक्षिणी धुरुव : दूसरा एकदम नीचे की ओर होता है जिसे दक्षिणी धुरुव कहते है
- भुमध्य रेखा या विषुवत रेखा : इन दोनों धुरव के बीच एक व्रत खींचा हुआ दिखाई देता है जिसे भूमध्य रेखा कहते है
- पृथ्वी के उत्तर में स्थित आधे भाग को उत्तरी गोलार्ध तथा दक्षिण वाले आधे भाग को दक्षिण गोलार्ध कहा जाता है यहाँ दोनों आधे भाग को दक्षिणी गोलार्ध कहा जाता है यह दोनों बराबर बराबर आधे भाग
- अक्षांश रेखाएं : ये दोनों बराबर के आधे भाग होते है वषुवत व्रत पृथ्वी पर एक काल्पनिक व्रत बनाती है यह पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों की स्थिति बताने का सबसे महत्वपूर्ण सन्दर्भ बिंदु है विषुवत व्रत से धुरुवो तक स्थिति सभी समान्तर व्रतों को अक्षांश रेखाएं कहा जाता है
- उष्णकटिबंध : कर्क रेखा एवं मकर रेखा के बीच सभी अक्षांशो पर सूर्य वर्ष में एक बार दोपहर में सर के बीच सभी होता है इसलिए इस क्षेत्र अधिक ऊष्मा प्राप्त होती है तथा इसे ऊष्ण कटिबंध कहा जाता है
- शीतोष्ण कटिबंध : कर्क रेखा तथा मकर रेखा के बाद किसी भी अक्षांश पर दोपहर का सूर्य की किरणे तिरछी होती जाती है इस प्रकार उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा एवं उत्तर धुरव व्रत के बीच वाले क्षेत्र का तापमान माध्यम रहता है इसलिए इन्हे शीतोष्ण कटिबंध कहा जाता है
- शीत कटिबंध : उत्तरी गोलार्ध में उत्तर धुरुव व्रत एवं उत्तरी धुर्व तथा दक्षिण गोलार्ध में दक्षिण धुरुव व्रत एवं दक्षिण धुर्व के बीच के क्षेत्र में ठण्ड बहुत होती है क्योकि यहाँ सूर्ये क्षितिज से जायदा ऊपर नहीं आ पाता है इसलिए ये शीत कटिबंध कहलाता है
नोट :
- कर्क रेखा : उत्तरी गोलार्ध में 23 1/2 डिग्री उत्तरी अक्षांश व्रत को कर्क व्रत या कर्क रेखा कहा जाता है यह व्रत हमारे देश के गुजरात , मध्यप्रदेश , बिहार , इत्यादि राज्यों से होकर गुजरता है
- मकर रेखा : दक्षिण गोलार्ध में 23 -1 /2 डिग्री दक्षिणी अक्षांश व्रत को मकर रेखा कहा जाता है
- विषुवत व्रत शून्य अंश अक्षांश को दर्शाती है विषुवत व्रत दोनों तरफ धुरुव के बीच की दुरी पृथ्वी के चारो ओर के व्रत का एक चौथाई है अतः इसका माप होगा 360 अंश का 1 /4 यानि 90 अंश
- इस प्रकार 90 अंश उत्तरी अक्षांश उत्तर धुर्व को दर्शाता है तथा 90 अंश दक्षिणी अक्षांश दक्षिणी धुरुव को
- उत्तरी अक्षांश : विषुवत व्रत को दक्षिणी स्थित सभी समान्तर रेखाओ को दक्षिणी अक्षांश कहा जाता है
- विषुवत व्रत : ग्लोब को दो बराबर भागो में बाटती है इसे विषुवत व्रत कहा जाता है इसे उत्तर या दक्षिण अक्षर से व्यक्त किया जाता है
- अक्षांश व् देशांतर रेखाएं :पृथ्वी पर किसी स्थान की ठीक ठीक स्थिति दर्शाने के लिए ये रेखाएं ग्लोब एवं मानचित्र पर खींची गई है इन रेखाओ की मदद से हम किसी गांव , नगर , देश , या किसी स्थान की भौगोलिक स्तिथि को आसानी से जान सकते है
- नोट : भुमध्य रेखा के समान्तर खींची हुए व्रतों या आड़ी रेखाओ अक्षांश व्रत या रेखाए कहते है इनकी कुल संख्याये 108 है
- ब्राह्मण में हमारी पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन है पृथ्वी में जल और वायु दोनों है अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखने पर पृथ्वी गोल दिखाई देती है
- ग्लोब : ग्लोब पृथ्वी का एक नमूना अर्थात पृथ्वी जैसी आकृति का एक मॉडल है जो पृथ्वी का सही सही प्रतिनिधित्व करता है ग्लोब की सहायता से हम ठीक तरह से जान पाते है की पृथ्वी की आकृति गोलकार है
- पृथ्वी अपने अक्ष पर सीधी नहीं है बल्कि कुछ झुकी 23 1/2 डिग्री हुई है
- पृथ्वी धुर्वो पर थोड़ी चपटी है
- महाद्वीप : पृथ्वी के बड़े भू भाग जिसमे कई देश होते है उसे महाद्वीप कहते है पृथ्वी पर 7 महाद्वीप है सात महाद्वीपों में शामिल हैं अफ्रीका , अंटार्कटिका , आस्ट्रेलिया , एशिया , यूरोप , उत्तर अमेरिका और दक्षिण अमेरिका है-महाद्वीपों में सबसे बड़ा क्षेत्रफ़ल के आधार पर–1 . एशिया — 17139445 वर्ग मील ( 44391162 वर्ग किमी )
- 2 . अफ़्रीका — 11677239 वर्ग मील ( 30244049 वर्ग किमी )
- 3 . उत्तरी अमरीका — 9361791 वर्ग मील ( 24247039 वर्ग किमी )
- 4 . दक्षिणी अमरीका — 6880706 वर्ग मील ( 17821029 वर्ग किमी )
- 5 . अंटार्कटिका — 5500000 वर्ग मील के बारे में ( 14245000 वर्ग किमी )
- 6 . यूरोप — 3997929 वर्ग मील ( 10354636 वर्ग किमी )
- 7 . ऑस्ट्रेलिया — 2967909 वर्ग मील ( 7686884 वर्ग किमी )
- महासागर : पृथ्वी पर फूले विशाल जल भाग को महासागर कहते है पृथ्वी पर 4 महासगर है
- मानचित्र : जब हम पूरी पृथ्वी की बात करते है तब तक ग्लोब हमारे लिए बहुत उपयोगी होती है लेकिन ग्लोब के उपयोग की कुछ सीमाएं भी है जब हम पृथ्वी के किसी स्थान विशेष या छोटे भाग का अध्ययन करना चाहे जैसे देश ,जिले , शहर या गांव की जानकारी प्राप्त करना चाहे तब हमारे मानचित्र की आवश्यकता पड़ती है
- गोलकार पृथ्वी अथवा उसके किसी भू भाग का मापन के अनुसार समतल सतह पर चित्रण मानचित्र कहलाता है
- MAPP (मानचित्र ) : मानचित्र शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के शब्द मैप्पा (मप्पा) से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ है मेजपोश या रुमाल | मध्यकाल में संसार का चित्र कपडे पर बनाये जाते थे अंग्रेजी भाषा का मेप शब्द लेटिन भाषा mappa का ही अपभंश है अंग्रेजी शब्द के map को हिंदी में मानचित्र कहते है मानचित्र को संहजने के लिए चिन्ह बने होते है जिससे समझा जाता है मानचित्र की भाषा को रूढ़ि चिन्ह द्वारा समझा जाता है
- ग्रहो की गति का नियम केपलर ने प्रतिपादित किया था
- मानचित्र में रंगो का उपयोग भी किया जाता है जल भाग - नीला ,पहाड़ी भाग - भूरे रंग ,मैदान भाग - हरे रंग
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