सौर मंडल में पृथ्वी


               सौर मंडल में पृथ्वी

1 . चन्द्रमा - चन्द्रमा अलग आकार अलग समय पर अलग स्थिति में देखा जाता है 
2 . पूर्णिमा  - पूर्ण चन्द्रमा को लगभग एक मंथ में 1 बार देखा जाता है यह पूरा एक माह  में दिखाई देता है  जिसे पूर्णिमा कहा जाता है 
3 आमबस्या - जिस दिन चन्द्रमा का प्रकाशित भाग बिलकुल दिखाई नहीं देता उसे अमबस्या बोलते है 
4 . खगोलीय पिंड - सूर्य  चन्द्रमा तथा वे सभी वस्तुए जो रात के समय आसमान में चमकती है बाह खगोलीय पिंड कहलाती है 
5 . खगोलीय पिंड का तारा - कुछ बखगोलिये पिंड बड़े आकर वाले तथा गर्म होते है ये  गैसो से बने होते है इनके पास अपनी ऊष्मा तथा प्रकाश होता है जिसे वे बहुत बड़ी मात्रा उत्सर्जित करते इन खगोलीय पिंडो को तारा कहते है 
- सूर्य भी एक तारा है 
6 . नक्षत्र मंडल - रात्रि मइ आसमान की ओर  देखते समय आप तारो के विभिन्न समूहों द्वारा  बनाई गई विविध आकृतियो को देखते है ये  नक्षत्र मंडल कहते है 
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- अर्सा   मेजर या बिग बीयर इसी प्रकार का एक नक्षत्र मंडल है
- बहुत आसानी से पहचानने  वाला नक्षत्र मंडल  है स्मॉल  बीयर  या सप्तऋषि (साप्त - सात ऋषि - संत ) यह सात तारो का समूह है जो की एक बड़े  नक्षत्र मंडल अर्सा   मेजर  का भाग है
7 . धुरुव  तारा - प्राचीन समय में रात्रि में दिशा का निर्धारण इसी की सहायता से किया जाता है
ग्रह  कुछ खगोलीय पिंड में अपना प्रकाश एवं ऊष्मा नहीं होती है वे तारो के प्रकाश प्रकाशित होते है ऐसे पिंड ग्रह कहते है
नोट - ऐसे आकाशिए पिंड जो अपनी अपनी कक्षाओ  में सूर्य की परिक्रमा करते है ग्रह कहते है सभी ग्रह की परिक्रमा अब  अलग अलग जो ग्रह सूर्य से जितनी दुरी पर होगी उसकी कक्षा उतनी ही बड़ी होगी  सूर्य की परिक्रमा के साथ ग्रह की परिक्रमा करते है
8 . प्लेनेट - ग्रह को अंग्रेजी में प्लेनेट कहा जाता  है  ग्रीक भाषा  में प्लनेटैत शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है परिभ्रमक अर्थात कघरो ओर घूमने वाले
- पृथ्वी  जिस पर हम रहते है यह एक ग्रह ही यह अपना सम्पूर्ण प्रकाश बा ऊष्मा सूर्य से प्राप्त करती है जो पृथ्वी के सबसे  नजदीक का तारा है
- पृथ्वी को चन्द्रमा से देखने पर यह चन्द्रमा की तरह ही  चमकीली दिखाई देती है
सौरमंडल में पृथ्वी :
  • सौरमंडल : सूर्य नौ ग्रह उपग्रह तथा कुछ अन्य खगोलीय पिंड जैसे क्षुद्र ग्रह एवं उल्कापिंड मिलकर सौरमंडल का निर्माण करते है उसे हम सौर  परिवार  का नाम देते ही जिसका मुखिया सूर्य है
·         नोट सूर्य सहित उसके समस्त आकाशिए पिंड के समूह को  सौरमंडल केह्ते है
·         नोटपोराणिक रोमन कहानियो में सोल सूर्य देवता को कहा जाता है सौर  शब्द का अर्थ है सूर्य में सम्बंधित है इसलिए सूर्य के परिवार को सौरमंडल कहा जाता है
  • सूर्य : सूर्य सौरमंडल के केंद्र में स्तिथि है यह बहुत बड़ा है एवं अत्यधिक गर्म गेसो से बना इसका खिचब बल इससे सौरमंडल को बांधे रखता है सूर्य सौरमंडल के लिए प्रकाश एवं ऊष्मा का एकमात्र स्त्रोत है लेकिन हम इसकी अत्यधिक तेज उसमे को महसूस नहीं करते है क्युकी सबसे नजदीक का तारा होने के बाबजूद यह हमसे बहुत दूर है सूर्य पृथ्वी से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है
  • नोट :  ऐसे आकाशिये  पिंड जो अपनी कक्षाओं में सूर्य की परिक्रमा करते है
  • ssग्रह - हमारे सौरमंडल मेंग्रह है  सूर्य से दूरी के अनुसार वे है : बुध शुक्र पृथ्वी मंगल बृहस्पति शनि यूरेनस तथा नेप्चून
  • नोट : निश्चित कक्षाओं पर सूर्य की परिक्रमा करने वाले आकाशिए पिंड को ग्रह कहते है  सभी ग्रह सूर्य से प्रकाश ऊर्जा प्राप्त करते है
  • सूर्य से उसकी दुरी के अनुसार ENGLISH  में गृह  के नाम याद रखने का आसान तरीका है 


       MY VERY EFFICENT MOTHER JUST SERVED US NUTS .
       ग्रहो की संख्याहै

  • कक्षा  : सौर मंडल के सभी 8 ग्रह एक निश्चित पथ पर सूर्य का चक्कर लगते है ये रास्ता बड़ा वृताकार में फैला हुए  है ये कक्षा  कहलाता है 
  •  बुध सूर्ये के सबसे नजदीक  है अपनी कक्षा में सूर्य के चारो ओर एक चक्कर लहगाते है  शुक्र को पृथ्वी का जुड़वाँ ग्रह मन जाता है क्युकी इसका आकर एवं आकृति लगभग  पृथ्वी के ही सामान है 
  • नोट : अभी तक प्लूटो भी एक ग्रह माना  जाता है परन्तु अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संगठन में अपनी बैठक (अगस्त 2006 ) में यह निर्णय लिया की कुछ समय पहले खोजे गए अन्य खगोलीय पिंड ( 2003 UB313  सिरस ) तथा प्लूटो ' बोने  ग्रह ' कहे जाते है 
  • पृथ्वी : सूर्य से दुरी के हिसाब से पृथ्वी का तीसरा ग्रह है आकर में यह 5 सबसे बडा  ग्रह है यह धुरबो के पास थोड़ी चपटी है यह कारन है की इसके आकार को भू - आभ कहा जाता है 
  • भू -आभ का अर्थ - पृथ्वी के समान आकार 
  • जीवन के लिए अनुकूल केवल  पृथ्वी है पृथ्वी तो अधिक गर्म है अधिक ठंडी यहाँ पानी एवं वायु उपस्थित है जो हमारे जीवन के लिए आवश्यक है वायु में जीवन के लिए आवश्यक गेसे  जैसे आक्सीजन मौजूद है इन्ही करने से पृथ्वी सौरमंडल का सबसे अध्भुत ग्रह है 
  • अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी नीले रंग की दिखाई देती है क्युकी इसकी दो तिहाई साथ पानी से ढकी हुई है इसलिए इसे नीला ग्रह कहा जाता है 
  • पूरे  ब्राह्मण में केवल पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ग्रह है जहा जीवन पाया जाता है इसलिए इसे जीवित ग्रह भी कहते है 
  • वायुमंडल में स्थित ओजोन गेश की परत सूर्ये की पराबैगनी जैसी घातक किरणों से हमारी रक्षा करती है ओजोन परत नहीं होती तो सरे जिव और वनस्पति नष्ट हो जाते है 
पृथ्वी पर 12 -12 घंटे वाली दिन रात की आदर्श अवधी  भी यहाँ जीवन के विकाश में अनुकूल दर्शाये प्रस्तुत करती है इन्ही करनो  से हमारी पर बिभिन्न प्रकार के जीव जंतु एवं वनस्पति पाई जाती है इसलिए पृथ्वी को एक जीवित ग्रह कहा गया है उपग्रह :-ऐसे अकाशीय पिण्ड जो ग्रहो की परिक्रमा करते है उसे परिक्रमा कहते है बुध और शुक्र को छोड़ सभी अपने अपने उपग्रेह है चन्द्रमा हमारी पृथ्वी का एक मात्र प्राकतिक उपग्रह है

नोट : जो ग्रहो की परिक्रमा करते है


कृत्रिम उपग्रह :-  प्राकृतिक उपग्रह के बाद कुछ उपग्रह ऐसे  है जो मानव  द्वारा    बनाये गए है उसे कृत्रिम उपगृह कहते है

नोट :- मानव द्वारा बनाये गए ग्रह

उपग्रह के नाम :- भारतीय  बैज्ञानिको  द्वारा कुछ कृत्रिम उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े गए है उनमे सबसे पहला उपग्रह आर्यभट्ट भास्कर , रोहिनी एप्पल आदि इनका उपयोग मोसम की  भविश्यवाणी दुरदर्शन  प्रसारण संचार व्यवस्था कृतिम की उन्नत बनाने हेतु जानकारी का प्रसारण खनिज सम्बन्धी जानकारी प्रसारण आदि किया जाता है
 चन्द्रमा : -हमारी  पृथ्वी के पास केवल एक उपग्रह है चन्द्रमा इनका व्यास पृथ्वी के व्यास का केबल एक चौथाई है यह इतना बड़ा इसलिए प्रतीत होता है क्योकि यह हमारे गृह से  अन्य खगोलीय  पिंडो की अपेक्षा नजदीक है यह लगभग 384400  किलोमीटर दूर है अब आप पृथ्वी से सूर्य एवं चन्द्रमा की दूरियो की तुलना कर सकते है चद्रमा पृथ्वी का एक चक्कर लगभग 27  दिनघंटे में पूरा करता है लगभग इतने ही समय में यह अपने अक्ष पर एक चक्कर भी पूरा करता है पृथ्वी से चन्द्रमा का केवल एक भाग दिखाई देता है चद्र्मा पर जीवन संभव नहीं है यहाँ तो पानी है वायु इसकी सतह पर पर्वत मैदान गड्डे  है जो चन्द्रमा की सतह पर चाय बनाते है पूर्णिमा दिन चन्द्रमा को इसकी छाया पर देखा जाता है

नोट :- पृथ्वी का चक्कर 27 दिन 7 घंटे में

क्षुद्रग्रह :- तारो ग्रहो एवं उपग्रह के अतिरिक्त असंख्य छोटे पिंड भी सूर्ये के चारो ओर चक्कर लगते है इन पिंडो को क्षुद्रग्रह कहते है

  • मंगल एवं बृहस्पति की कक्षाओं के बिच पाए जाते है इसका ब्यास (1025 ) km  है सिरस सबसे बड़ा क्षुद्र ग्रह है 
  • वैज्ञानिको के अनुसार क्षुद्र ग्रह ,ग्रह के ही भाग होते है जो की बहुत वर्ष पहले विस्पोट के बाद ग्रह से टूट के अलग हो गए 

उल्कापिंड :- सूर्ये के चारो ओर चक्कर लगाने वाले पत्थरो के छोटे छोटे टुकड़ो को उल्कापिंड कहते है
नोट : कभी कभी रत मे तारो के विच अचानक छड़ भर के लिए तेज चमकदार लकीर दिखाई देती है जिहे बोल चल की भाषा में तारो का टूटना कहते है

  • कभी कभी कोई उल्का पूरी तरह जले बिना पृथ्वी पर गिरते है जिससे पृथ्वी पर गद्दे हो जाते है 

आकाशगंगा :- आकाश में एक ओर से दूसरी ओर तक फैली  छोड़ी सफ़ेद पट्टी की तरह एक चमकदार रस्ते को देखा है ये लाखो तारो  को आकाश गंगा कहा है
ब्राह्मण :-आकाश गंगा करोडो तारो , बदलो तथा गेसो की एक प्रणाली है इस प्रकार की लाखो  अकाश गंगा मिल कर ब्राह्मण का निर्माण करती है
मानव निर्मित ग्रह :- एक कृत्रिम पिंड है यह वैज्ञानिको के द्वारा बनाया गया है जिसका उपयोग ब्राह्मण के बारे मे जानकारी प्राप्त करने एवं पृथ्वी पर संचार माध्यम के लिए किया जाता है इसे रॉकेट के द्वारा अंतरिक्ष में भेजा जाता है और पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया जाता है

  • नील आर्मस्ट्रांग पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 21 जुलाई 1969 को सबसे पहले चन्द्रमा की सतह पर कदम रखा 


धूमकेतु :- इन्हे पुच्छल  तारे  भी कहते  है धूमकेतु सिर और लम्बी पूंछ वाले ऐसे आकाशीय पिंड है जिनकी देखने का समय उस दिशा अनिश्चित होती है परिक्रमा करते हुए जब सूर्ये के निकट से गुजरते है तो हमे दिखाई देते है

  • हेली नमक धूमकेतु हमारा परिचित धूमकेतु है जो नियमित रूप से प्रति 76 वर्ष में दिखाई देता है
तारे :- बादल रहित रात में हमे असंख्य तारे आसमान में झिलमिलाते हुए दिखाई  देते है सौरमंडल से बहुत दूर ऐसे आकाशिए पिंड जिनका अपना प्रकाश और सूर्य ऊर्जा होती है टारे कहलाते है इनकी दुरी प्रकाश वर्ष में मापी जाती है सूर्य भी एक तारा है जिसका अपना प्रकाश और अपनी ऊर्जा होते है 
प्रकाश वर्ष :- प्रकाश वर्ष वह दुरी है जिसे प्रकाश 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकेंड के वेग सेवर्ष में तय करता है हमारा निकटतम तारा प्रोक्सिमा  सेंचुरी हमसे 4 1/3  प्रकाश वर्ष दूर है 
कृष्ण पक्ष :- चन्द्रमा के प्रकाशीत  भाग को घटता बढ़ता देखते है जिन 15 दिन की अवधि में ये घटता है उसे कृष्ण पक्ष  कहा जाता है 
शुल्क पक्ष :- 15 दिन  की अवधि में यह क्रमशः  बढ़ता  उसे शुल्क पक्ष कहते है 








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